हमारा देश भारत कृषि प्रधान देश माना जाता हैं, जहां 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग खेती करते हैं जिस देश का नारा है जय जवान जय किसान, जहां किसानों को अन्नदाता का दर्जा दिया जाता है, पर कुछ सालों से उसी देश के किसान सरकार की नीतियों से और राजनीतियों से काफ़ी खफा नज़र आ रहे हैं, कुछ महीनों पहले मौजूदा सरकार ने कुछ नियमों में बदलाव का सोचा था जो किसानों को किसान की हित की बात नही लगी जिसके बाद 13 फरवरी 2024 को हजारों की संख्या में किसान पंजाब, हरियाणा से दिल्ली के लिए कूच कर गए जिसके बाद पुलिस और सेना बल को दिल्ली की सीमा को सील करना पड़ा, जहां किसानों और पुलिस में काफ़ी झड़प हुई, किसान पंजाब, दिल्ली बॉर्डर पर ही बैठ कर धरना देने लगे, धरने में कई बार लाठी डंडे भी चले, खूनी झड़प भी हुई, अफसोस इस लड़ाई में सैकडों की संख्या में किसान घायल हो गए तो वहीं पांच किसान अपने ज़िंदगी से हाथ धो बैठे । मैं आज इस लेख में किसान आंदोलन की बात इसलिए कर रहा हूं, क्योंकी हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने किसान आंदोलन पर विवादित बयान दे दिया जिसके बाद से राजनीतिक गलियों में भूचाल आ गया, जहां विपक्षी ने कंगना रनौत सहित मौजूदा सरकार को आड़े हाथों लिया तो वहीं दूसरी तरफ़ बीजेपी ने इस बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया ।
आखिर क्या था सरकार का फैसला ?
सितंबर 2020 में, संसद ने तीन विधेयक पारित किए, किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर समझौता विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 । प्रशासन का दावा है कि ऐसे कानून कृषि में सरकार की भागीदारी को कम कर देंगे और निजी क्षेत्र के लिए अधिक अवसर पैदा करेंगे। किसानों को चिंता थी कि सरकारी सुरक्षा को खत्म करने से वे व्यवसायों के लिए असुरक्षित हो जाएंगे।
2021 में किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ़ प्रदर्शन किया। 200 से ज़्यादा किसान संगठन इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। 19 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि केंद्र ने वर्ष 2020 में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का फ़ैसला किया है। किसान एक बार फिर विरोध प्रदर्शन किए, उनका आरोप है कि सरकार 2020-2021 में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है। वे सरकार पर उनकी आय को दोगुना करने का प्रयास न करने का भी आरोप लगाते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार से नाराजगी जताने के लिए राज्यव्यापी ग्रामीण और औद्योगिक हड़ताल का आयोजन किया।
क्या थी किसानों की मांग ?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी:
किसान एक ऐसा कानून बनाने की मांग कर रहे हैं जो सभी फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी सुनिश्चित करे। यह कानूनी आश्वासन उनकी आय की रक्षा करेगा और कृषि बाजारों में स्थिरता प्रदान करेगा।
ऋण माफी:
किसानों को कर्ज माफी प्रदान करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग की गई है। 10,000 रुपये से अधिक के सभी किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे, जिनकी कीमत 18.4 लाख करोड़ रुपये है।
भूमि अधिग्रहण मुआवजा:
किसान विकास परियोजनाओं के लिए विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा अधिग्रहित भूमि के लिए अधिक मुआवजे की मांग करते हैं। वे भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के लिए विकसित भूमि पर 10% आवासीय भूखंडों का आरक्षण भी चाहते हैं।
इन सब के अलावा भी किसानों के कई मांग थे जिसके विरोध में किसान आंदोलन की शुरुवात हुई थी ।
आखिर कंगना का क्या था बयान –
हाल ही में बांग्लादेश में जो हालात हुए उससे शायद ही कोई वाकिफ ना हो, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री अपने जिम्मेदारियों को छोड़ कर चली गई, जिसके बाद पूरे देश में जनता का राज हो गया और भारत में सियासत गर्म हो गई, बांग्लादेश के हालत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने मीडिया में कह दिया की कुछ सालों में भारत में भी बांग्लादेश वाले हालात हो जायेंगे, यहां के भी वजीर ए आला अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ के चले जायेंगे। सलमान खुर्शीद के पलटवार में बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने बयान दे दिया की
“अगर हमारी लीडरशीप कमजोर होती तो देश में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो सकती थी। सभी ने देखा कि किसान आंदोलन के दौरान क्या हुआ था। प्रदर्शन की आड़ में हिंसा फैलाई गई। वहां बलात्कार हो रहे थे। लोगों को मारकर लटकाया जा रहा था। इस स्थिति में भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो सकती थी। केंद्र सरकार ने जब कृषि कानूनों को वापस लिया तो सभी प्रदर्शनकारी चौंक गए। इस आंदोलन के पीछे एक लंबी प्लानिंग थी”। फिर क्या था इस बयान के बाद से विपक्ष कंगना रनौत का पुरजोर विरोध किया। जिसके बाद भाजपा ने ये कह के पल्ला झाड़ लिया की ये पार्टी का नही कंगना के निजी विचार हैं पर इसके बाद भी विपक्ष का विरोध कम ना हुआ।
कंगना रनौत नशे में देती हैं बयान –
True to life से बात करते हुए कांग्रेस नेता और वाराणसी लोकसभा प्रत्याशी अजय राय ने कहा की “कंगना रनौत नशे में बयान देती हैं, देखा जाय तो भाजपा ऐसे ही लोगों को चुनती है, जो नशे लेने के आदी हो और नशे में ऐसे हीं बयान दे सकें।
सैकडों किसान उतरे सड़क पर –
कंगना रनौत के विवादित बयान के बाद काशी की सड़को पर सैकड़ों की संख्या में किसान उतर आए और सब की मांग रही की कंगना रनौत को पद से हटा देना चाहिए। किसानों ने बनारस के शास्त्री घाट से कचहरी तक पैदल यात्रा करके अपना विरोध दर्शाया।
बनारस से अभय के द्वारा
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