कहने को हम उस देश में रह रहे हैं जिसकी संस्कृति में नारी को देवी का मान दिया गया है, ये वही देश है जहां नवरात्र के नवें दिन बच्चियों को देवी मान के उन्हे भोग लगाया जाता है,उनके पैर धोए जाते हैं, उन्हें मां दुर्गा के नौ स्वरूप माना जाता है पर वहीं दूसरी तरफ इस देश का दूसरा पहलु भी है, जहां छोटी छोटी बच्चियों को जानवरों की तरह उनका रेप करके मार दिया जाता है, ये वो देश हैं जहां लड़कियों को अब दिन में भी अकेले चलने में डर लगता है, अब हालात ऐसे हो गए हैं की लड़कियों को अपने ही रिश्तेदारों से डर लगता है, कब किसकी क्या मानसिकता हो जाए किसी को कुछ नही पता, हमारे महान भारत देश में सरकार कोई भी हो पर एक नारी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पाती है, पिछले कई दशकों से ऐसी घटनाएं देखने को मिल रही हैं, फिर चाहे वो 2012 का सबसे चर्चित निर्भया मामला हो या फिर हाथरस की बेटी का मामला, हर मामले में लोग सड़कों पर मोमबत्ती लेकर निकलते हैं, बहुत सी जगह विरोध प्रदर्शन भी होते हैं पर कुछ ही दिन बाद एक नया मामला हमारे सामने होते हैं और हर मामले में मीडिया को एक नई न्यूज मिलती है और राजनीतिक दलों को राजनीति करने का नया जरिया पर सबसे अहम और बड़ा सवाल इन सभी चीजों में दब जाता है की आखिर उस परिवार का क्या जो एक झटके में अपना सब कुछ खो देता है ? उस मां का क्या जो 9 महिने एक बेटी को कोख में रख कर उसको पालती पोसती है ? उस बाप का क्या जिसके लिए उसकी बेटी किसी राजकुमारी से कम नहीं थी? ये सभी सवाल विरोध प्रदर्शन के गूंजते नारो में कहीं ना कहीं दब जाते हैं। एक बार फिर देश शर्मिंदा हुआ जब कोलकाता के R G कर अस्पताल में इंसानी भेष में कोई दरिंदा किसी लड़की की इज्जत तार तार कर उसको मौत के घाट उतार देता है ? एक मर्द होने के नाते मेरा मुझसे ही सबसे बड़ा सवाल ये होता है की क्या इस दरिंदगी को मर्दानगी का चोला पहनाया जा सकता है ?
देश फिर शर्मिंदा है –
8 – 9 अगस्त की वो रात देश के लिए फिर से एक शर्मशार रात थी, जहां एक बेटी की इज्जत को बड़े आसानी से तार तार कर उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है, जहां एक मां फिर से चीख चीख कर अपनी बेटी के साथ हुई हैवानियत की दास्तां सुनाती है, जहां फिर एक बार लोग मोमबतियां लेकर सड़कों पर उतर आते हैं, पर मेरे ज़हन में सबसे बड़ा सवाल यही आता है की क्या सड़कों पर मोमबत्ती लेके चलना इस हैवानियत का हल है?
दरिंदो को महिलाओं के हवाले कर देना चाहिए –
True to life से बात करते हुए भूमिहार महिला समाज की संस्थापिका डॉ राय लक्ष्मी कहती हैं की रेप के मामलों में हमारे देश के कानून को बाकी दूसरे देश के कानूनों जैसा बना देना चाहिए, ऐसे दरिंदो को जेल में रखने से अच्छा है की इन्हे महिलाओं को सौप देना चाहिए, हम सभी महिलाएं ऐसे भेड़ियों को बीच सड़क पर नंगा लटका कर जिंदा जला देंगे”।
इन सभी मामलों में मेरे ज़हन में एक ही सवाल कौंधता है की क्या ऐसे भेड़ियों को जेल में रख कर उनको सेवा देना सही है, ऐसे हैवानों को कोर्ट से जमानत देना सही है ? सवाल अनेकों हैं पर जवाब शायद एक भी नहीं ।
बनारस से अभय के द्वारा
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