आजकल डिजिटल दुनिया में साइबर क्राइम के कई रूप सामने आ रहे हैं, जिनमें से *Digital Arrest* एक गंभीर और खतरनाक स्कैम है। इस स्कैम में अपराधी आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा, सम्मान और आत्मसम्मान को निशाना बनाते हैं और आपको डराकर भारी रकम वसूलते हैं। यह स्कैम विशेष रूप से मानसिक दबाव का शिकार बनाता है, जहां पीड़ित न केवल वित्तीय रूप से हानि पहुंचता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित होता है।
डिजिटल अरेस्ट क्या है ?
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का साइबर क्राइम है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी, जैसे पुलिस, सीबीआई या नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी बताकर लोगों को धोखा देते हैं। यह कॉल ज्यादातर व्हाट्सएप या स्काइप के माध्यम से आती है, और अपराधी इतने आत्मविश्वास से बात करते हैं कि आपको उनकी बातों पर विश्वास करना आसान हो जाता है। अपराधी इस विश्वास का फायदा उठाते हुए पीड़ित को मानसिक रूप से परेशान करने लगते हैं और कई बार उन्हें यह विश्वास दिलाते हैं कि वे किसी गंभीर अपराध में फंसे हुए हैं।
कैसे काम करता है डिजिटल अरेस्ट स्कैम ?
1. पहला संपर्क: इस स्कैम की शुरुआत एक वीडियो कॉल से होती है, जो अनजान नंबर से आती है। कॉल करने वाला व्यक्ति खुद को किसी सरकारी विभाग का बड़ा अधिकारी बताता है, जैसे कि पुलिस, सीबीआई, या नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी।
2. पीड़ित को डराना: अपराधी बताता है कि पीड़ित के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स के धंधे या अन्य अवैध गतिविधियों के आरोप लगाए गए हैं। वे यह भी कह सकते हैं कि पीड़ित के परिवार के किसी सदस्य को खतरा है या उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। यह मानसिक दबाव इतना बढ़ा दिया जाता है कि पीड़ित जल्दबाजी में गलत कदम उठाने को तैयार हो जाता है।
3. विश्वास का निर्माण: इस दौरान, अपराधी अपने बैकग्राउंड को इस तरह से सेट करते हैं कि वह एक पुलिस स्टेशन या सरकारी कार्यालय जैसा दिखे, जिससे पीड़ित को यह यकीन हो जाता है कि वह वास्तव में पुलिस से बात कर रहा है। इससे पीड़ित को और अधिक मानसिक दबाव महसूस होता है।
4. मांग करना और धमकाना: इसके बाद, अपराधी पीड़ित से कहता है कि वह पूछताछ में मदद करे, और उसके घर को 360 डिग्री एंगल से वीडियो कॉल के माध्यम से दिखाए। कुछ मामलों में तो पीड़ित को 2 से 3 दिन तक “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया जाता है। इस समय तक अपराधी पीड़ित से भारी रकम की मांग करते हैं, यह कहते हुए कि पैसे देने पर ही केस को खत्म किया जा सकता है और गिरफ्तारी से बचा जा सकता है।
कैसे पहचानें और बचें ?
1. अजनबी कॉल से सावधान रहें: अगर किसी अनजान नंबर से आपको कॉल आती है और वह खुद को सरकारी अधिकारी बताता है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं। सरकारी अधिकारी कभी भी इस तरह से वॉयस या वीडियो कॉल पर कोई मामला नहीं निपटाते।
2. आधिकारिक पहचान की पुष्टि करें: अगर कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताता है, तो उसके नाम और पद की पुष्टि करें। आप संबंधित विभाग में फोन करके उसकी सत्यता जांच सकते हैं।
3. भय और दबाव से बचें: अगर कोई आपको डराकर या जल्दी में फैसला लेने के लिए मजबूर करता है, तो यह स्पष्ट संकेत है कि वह धोखा देने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में तत्काल किसी विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें।
4. निजी जानकारी साझा न करें: कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी या बैंक खाता विवरण इस तरह की कॉल पर साझा न करें। असली अधिकारी कभी भी यह नहीं मांगेंगे।
5. साइबर क्राइम में रिपोर्ट करें: अगर आप इस प्रकार के किसी धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम सेल में रिपोर्ट करें।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
True To Life के संवादाता ने जब Cyber Security Expert से बात कि तब उन्होंने बताया कि डिजीटल अरेस्ट से बचने का एक मात्र तरीका सिर्फ Iggnorance ही है। अगर बार-बार आपके पास स्पैम मैसेज या फिर कॉल आते हैं तो चक्षु पोर्टल पर इसकी शिकायत दर्ज कराएं।
By- Sajal Raghuwanshi
Reporting For True To Life