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विश्वगुरु भारत – प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता

भारत जिसे अंग्रेजी में इंडिया भी कहा जाता है हालांकि यह नाम इंग्लैंड से आए अंग्रेजों ने दिया था । इंडिया अंग्रेजों से आए पहले का और आने वाले कल का विश्वगुरू भारत है ऐसा बोलने के पीछे कई कारण है चाहे फिर वह भारत की अर्थव्यवस्था हो या फिर भारत की सैन्य सुरक्षा, इस लेख में हम उन कारणों को जानेंगे जिससे यह साफ तौर पर साबित होता है की आज का भारत अंग्रेजों का लूटा हुआ इंडिया नहीं बल्कि भविष्य का विश्वगुरू है।कारणों को जानने और समझने से पहले हमें विश्वगुरू शब्द का अर्थ पता होना आवश्यक है, दरअसल प्राचीन भारत में वैदिक शिक्षा और कूटनीति का अनूठा समीकरण था जिसके चलते ही भारत ने आक्रमणकारियों को खदेड़ा और पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई, ना केवल युद्ध कौशल में हमारा देश कुशल रहा बल्किसंगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया। भरत नाट्यम का विकास भी भारत में ही हुआ था। स्पष्ट तौर पर देखें तो विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान करने के कारण एवं विश्व को नूतन मार्ग दिखाने के फलस्वरूप भारत को विश्वगुरु कहा जाता था, .भारत की प्राचीन संस्कृति-पूरे विश्व के इतिहास को जाने और समझे तो साफ तौर पर देखा जा सकता है की भारत की संस्कृति सबसे प्राचीन, सरल और सुंदर है । इसका इतिहास विलक्षण भूगोल, सिन्धु घाटी सभ्यता, वैदिक युग, बौद्ध धर्म, स्वर्ण युग, के साथ जुड़ा हुआ है। भारतीय संस्कृति का केंद्र हिंदू धर्म है,जो सिर्फ एक धर्म नहीं बल्कि एक व्यापक जीवन शैली है। इस संस्कृति को समझने के लिए True To Life ने विश्वगुरू भारत नाम की संस्था के संस्थापक सी.एस ठाकुर से बात की और जाना की कैसे भारत एक बार फिर से विश्वगुरू बन सकता है। सीएस ठाकुर बताते है की “भारत को जल्द से जल्द विश्वगुरू बनाना है तो भारत की जो प्राचीन संस्कृति है भारत को उस के हिसाब से चलाना होगा, नेतृत्व करना होगा जिसके चलते ही भारत जल्द से जल्द पुनः विश्वगुरू बनेगा”। भारत की कुशल विदेश नीति- किसी भी देश को अगर विश्व में अपनी अनोखी छाप बनानी है तो उसके लिए एक कुशल रणनीति होना बेहद आवश्यक है, जिसमें अगर बात विश्वगुरू बनने और कहलाने की हो तो भारत इसमे कहीं भी पीछे नहीं है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की विदेश नीति को पुनर्जीवित किया है मोदी ने अमेरिका के साथ रिश्तों को गर्माया, चीन और पाकिस्तान के प्रति दृष्टिकोण को पुनः आकार दिया, रूस के साथ पुरानी दोस्ती को बनाए रखा, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया, भारत की पड़ोसी नीति को बढ़ावा दिया, अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक नेताओं को आकर्षित किया और भारतीय डायस्पोरा के साथ पुनः संपर्क स्थापित किया।

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Sajal Raghuwanshi

Reporting for true to life

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