कहा जाता है इंसान जब खुद की नज़रो में गिर जाता है तो फिर कभी खुद को उठा नहीं पाता है, चंद पैसो का लालच अच्छे से अच्छे इंसान का ईमान खराब कर सकता है, फिर वो चाहे कोई इज़्ज़तदार अधिकारी ही क्यों ना हो ऐसा ही कुछ मामला है मध्य प्रदेश के मैहर का जहाँ साइबर फ्रॉड के मामले में गिरफ्तार बैंक के मैनेजर मेदनीपाल चतुर्वेदी ने सोमवार रात आत्महत्या कर ली, मैनेजर कुछ दिनों पहले ही जमानत पर जेल से बाहर आया था, सुबह चाय देने गई पत्नी ने जब मेदनीपाल को देखा तो उसके होश उड़ गए, परिजन तत्काल मेदनीपाल को जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया, मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया, परिजनों का कहना है कि मेदनीपाल ने यह कदम डिप्रेशन में आकर उठाया है।
पिछले साल दिसंबर में STF ने किया था गिरफ्तारगौरतलब है कि डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड में लिप्त बदमाशों के साथ मिलकर बैंक में फर्जी अकाउंट खोलने के आरोप में मेदनीपाल चतुर्वेदी (42) को एसटीएफ ने पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया था, करीब 4 महीने जबलपुर जेल में बंद रहने के बाद मेदनी की कुछ दिनों पहले जमानत पर रिहाई हुई थी, जिसके बाद से वो अपने माता-पिता, पत्नी और 2 बच्चों के साथ मैहर के हरनामपुर में रहता था,परिजन ने बताया कि जेल से बाहर आने के बाद से वो अक्सर तनाव में रहता था, आत्महत्या करने का कारण भी तनाव ही बताया जा रहा है,क्या है पूरा मामला?साइबर फ्रॉड मामले में 13 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार हुए चतुर्वेदी पर आरोप था कि वह गिरोह के सदस्यों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खाता खोलता था, फिर उसके जरिए अवैध लेनदेन करता था, जबलपुर STF द्वारा गिरफ्तारी के बाद उसे करीब 4 महीने जेल में रखा गया था, हाल ही में वो जमानत पर बाहर आया था, परिजनों के मुताबिक, वह रिहाई के बाद से मानसिक तनाव में था, लेकिन किसी ने उसके इस कदम की आशंका नहीं जताई थी।घटनास्थल से नहीं मिला कोई सुसाइड नोट-मैहर थाना प्रभारी अनिमेष द्विवेदी ने बताया, ” सोमवार की सुबह सूचना मिली थी कि मेदनीपाल चतुर्वेदी नामक व्यक्ति ने सुसाइड कर लिया है,परिजन उसे सिविल अस्पताल लेकर आए थे, मौके पर पहुंचकर मामला दर्ज कर लिया गया है, घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, परिजन का बयान दर्ज कर आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है,परिजन द्वारा मानसिक तनाव के चलते ये कदम उठाने की बात कही जा रही है, पुलिस इस पहलु की भी जांच कर रही है.”‘आत्मसम्मान को ठेस लगने की वजह से उठाया कदम’मेदनीपाल के भाई दीपक चतुर्वेदी ने बताया, ” एक दिन एक अमित रजक नामक सतना निवासी युवक बैंक में खाता खुलवाने आया था, भाई ने उसका खाता बायोमेट्रिक तरीके से अपनी आईडी से खोला था, जिसके बाद बैंक द्वारा उनसे रिजाइन मांगा गया, फिर एसटीएफ की टीम ने खाते के संबंध में पूछताछ के लिए 90 दिन तक कस्टडी में रखा, जिसके बाद जमानत पर घर आया भाई डिप्रेशन में रहने लगा, बेवजह फंसाए जाने से उनके आत्मसम्मान को ठेस लगी थी,कोर्ट कचहरी के चक्कर में 3 से 4 लाख रुपए भी खर्च हो गए थे, जिसकी वजह वो और परेशान रहते थे,इन्हीं सब वजहों ने उसने आत्महत्या कर ली।” इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है की क्या वाकई मेदनीपाल निर्दोष थे और झूठे मामले या गलतफमी में उन्हें ऐसे गुनाह के लिए जेल भेज दिया गया क्या वाकई मेदनीपाल के भाई का जो आरोप है उसमें सच्चाई है, सवाल बहुत है पर जवाब एक भी नहीं।