तमाम सवालों से घिरे होने के बावजूद कैसे बेदाग छवि के साथ जीना चाहिए ये हमें भारत रत्न भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से सीखना चाहिए. उनसे ये भी सीखना चाहिए कि विवादों के साये में रहकर कैसे ईमानदारी की विरासत को बचाये रखना चाहिए, ऐसे ही थे हमारे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जो अब हमारे बीच नहीं हैं 2004 से 2014 तक लगातार 10 साल देश के प्रधानमंत्री रहे. डॉ.मनमोहन सिंह को भारत के लिए बड़े आर्थिक सुधार का जनक माना जाता है….उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वो बहुत कम बोलते थे, लेकिन सौम्य स्वभाव के कारण पक्ष और विपक्ष सबके पसंदीदा थे …कभी कभी शेरो शायरी भी कर लिया करते थे… संसद का एक किस्सा उनका बहुत याद किया जाता है, जिसमें बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज और मनमोहन सिंह के बीच शेरो-शायरी हुई थी… “माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं तू मेरा शौक तो देख मेरा इंतजार तो देख…” तब सुषमा जी ने जवाब दिया था “हमको उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है..” इसीलिए उन्होंने कहा था कि इतिहास उनके प्रति नरमी दिखाएगा.. ये बात वो खूब अच्छी तरह समझते थे…..सबसे बड़ी बात ये है डॉ. मनमोहन सिंह ने ब्यूरोक्रेट से लेकर पीएम तक का अपना सफर बिना किसी विवाद के ही पूरा किया,..कभी भी संदेह के दायरे में नहीं रहे…लेकिन अपने आसपास के विवादों को नहीं रोक सके….उनके सम्मान में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है…. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि-डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा…इस दिन यानि शुक्रवार को होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया ….केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की गई..मनमोहन सिंह को मौनमोहन सिंह कहा जाने लगा…उन पर मौन रहने के आरोप लगे….उन पर सबसे कमजोर प्रधानमंत्री होने के आरोप लगे,….. घपले-घोटालों के ऐसे ऐसे मामले सामने आए कि उनके जवाब आज तक जनता को नहीं मिल पाए….मीडिया सलाहकार संजय बारू जैसे कुछ लोगों ने …उन्हें लाचार प्रधानमंत्री बताया…. जबकि वो उनके सबसे अधिक करीब थे…..दो बार लगातार (2004 से 2014 तक) देश का नेतृत्व किया… प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के कार्यकाल ने ही देश की राजनीति की वर्तमान दिशा-दशा तय की…, खासकर नीतिगत निष्क्रियता में।अन्ना आंदोलन का प्रभाव-तीन-चार बड़े मामलों के साथ ही अन्ना हजारे के जन आंदोलन ने पूरे देश में एक ऐसे माहौल का निर्माण किया जिसमेंउनकी छवि को भारी नुकसान पहुंचा…..इनके पहले कार्यकाल में कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आया, हालांकि गठबंधन की मजबूरियों के चलते दागी चेहरों को मंत्रीमंडल में जगह देना पड़ी थी…लेकिन कार्यकाल के अंतिम दिनों में परमाणु समझौते पर सहयोगी दल ही दूर होने लगे थे… बावजूद इसके उसे अंजाम तक पहुंचाने में मनमोहन सिंह ने पूरी ताकत झोंक दी और विजेता बने…..2009 में लोकसभा के चुनाव में बड़ी जीत हासिल की…औऱ दोबारा प्रधानमंत्री बने….लेकिन दूसरा कार्यकाल बहद कठिन रहा….पूरे पांच साल तक घोटालों का कच्चा चिट्ठा सामने आता रहा…लगभग 4 लाख करोड़ का घोटाला सामने आने की वजह से वो काफी परेशान और बेचैन रहे…. और तत्कालीन विपक्ष यानी भाजपा आज तक इसी बात पर कांग्रेस को घेरती है मनमोहन सिंह के राज में बड़ी धांधली हुई ….2जी घोटाला, कोयला घोटाला, राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में गड़बड़ी, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी, एंट्रिक्स धांधली जैसे कई प्रकरण हैं, जिनमें हजारों-लाखों करोड़ रुपये के घोटालों की बातें हुईं… इसी दौरान लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे ने बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया….औऱ मनमोहन सिंह को जवाब देना मुस्किल हो गया…. बतौर पीएम उनकी छवि धूमिल हो गई…. माहौल उनके खिलाफ होता गया, और उनके अपने करीबियों ने ही उनसे दूरियां बना लीं….28 सितंबर 2013 को ऐसी घटना हुई जिसने राजनीति के इतिहास पर एक दाग लगा दिया…. जब तत्कालीन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार के अध्यादेश को भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांहें चढ़ाते हुए फाड़ दिया था…जिसने पीएम के रूप में मनमोहन सिंह के प्रभाव और सम्मान को चोट पहुंची थी औऱ कहीं न कहीं मनमोहन सिंह अंदर तक आहत हुए थे।उनके निधन से राजनीति में एक युग का अंत हो गया….9 बज कर 45 मिनट पर मनमोहन सिंह ने आखिरी सांस ली.. 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा…..उनके Vission को . उनके Mission को पूरा देश नमन करता है..जिस समय देश की राजनीति किसी एक परिवार तक सीमित थी. उस समय भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता का उदय हुआ, जिसने देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति को अलग दिशा दी। कांग्रेस में रहकर कांग्रेस से कैसे अलग थे सिंह-जब उन से सवाल पूछा जाता की आपकी सफलता के पीछे क्या राज है..तो वो किसी Political Party को इसका श्रेय नहीं देते थे बल्कि वो अपनी पढ़ाई-लिखाई को श्रेय देते थे.. राहुल गांधी ने X पर लिखा- मैंने अपना मार्गदर्शक और गुरु खो दिया…कांग्रेस ने कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) मीटिंग रद्द कर दी कांग्रेस स्थापना दिवस से जुड़े सभी आयोजन भी कैंसिल हो गए हैं…पाकिस्तान में एक गांव गाह में पैदा हुए थे मनमोहन सिंह, गांव में ना तो बिजली थी ना स्कूल और ना ही हॉस्पिटल..मीलों चलकर स्कूल जाते, केरोसिन लैंप में पढ़ पढ़कर अपनी आंखें खराब कर ली लेकिन उन्होंने पढ़ना नहीं छोड़ा और पढ़ते-पढ़ते ऑक्सफोर्ड से पीएचडी कर ली फिर प्रोफेसर, रिजर्व बैंक के गवर्नर, केंद्रीय मंत्री होते हुए प्रधानमंत्री भी बने …प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें देश ने खूब सम्मान औऱ स्नेह दिया लेकिन देशवासियों के साथ साथ उन्हें भी इस बात का मलाल जरूर होगा कांग्रेस में रहते हुए जो सम्मान उन्हे मिलने चाहिए था….वे नहीं मिला…इस बात का खुलासा उनके सबसे करीबी रहे उनके मीडिया सलाहकार और मुख्य सलाहकार थे संजय बारू जिन्होंने अपनी किताब द एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर में लिखा है….इस पर फिल्म भी बनी… संजय बारू की किताब से ज्यादा फिल्म का विरोध हुआ था. फिल्म में मनमोहन सिंह को संजय बारू के नजरिए से दिखाया गया, जिनका कई बार कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से टकराव भी दिखाया गया. फिल्म को क्रिटिक्स ने खूब सराहा. औऱ इसे अच्छी रेटिंग मिली….अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह का किरदार प्ले किया था. संजय बारू के किरदार में अक्षय खन्ना थे. इस फिल्म ने बजट से ज्यादा का कलेक्शन किया था. उन्हे हमेशा उदारीकरण नीति और आर्थिक सुधारों के लिए याद किया जायेगा.True To Life की तरफ से मनमोहन सिंह जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि…
By- Sajal Raghuwanshi,
For True To Life
Tribute To Visionary PM Dr. Manmohan Singh