भारत की महंगाई दर नवंबर 2024 में घटकर 5.48% पर आ गई, जो अक्टूबर में 6.21% थी। सरकार द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर 5.95% रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह केवल 4.83% दर्ज की गई। यह गिरावट उपभोक्ताओं और नीति-निर्माताओं के लिए राहत का संकेत है। महंगाई दर में कमी का मुख्य कारण “खाद्य और पेय पदार्थ” श्रेणी की कीमतों में गिरावट बताया गया है। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI), जो खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को मापता है, नवंबर में 9.04% पर आ गया। यह अक्टूबर में 10.87% और नवंबर 2023 में 8.70% था।साथ ही शहरी क्षेत्रों के लिए आवासीय महंगाई दर में हल्की वृद्धि हुई और यह अक्टूबर के 2.81% से बढ़कर नवंबर में 2.87% हो गई। हालांकि, अन्य प्रमुख श्रेणियों में महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई, जिससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली है।सब्जियां, दालें, चीनी, फल, अंडे, दूध और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में सालाना आधार पर महंगाई दर में गिरावट देखी गई। लेकिन कुछ वस्तुएं अब भी उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ रही हैं। उदाहरण के तौर पर, लहसुन, आलू और फूलगोभी जैसे उत्पाद महंगाई के बड़े योगदानकर्ता बने रहे। खासकर लहसुन की कीमतें पिछले साल की तुलना में 85.14% तक बढ़ीं। नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) के अनुसार, “नवंबर 2024 के दौरान सब्जियों, दालों, चीनी, फलों, अंडों, दूध, मसालों, परिवहन और व्यक्तिगत देखभाल जैसी श्रेणियों में महंगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई।” इसके बावजूद, कुछ अनाज और सब्जियों की कीमतें अब भी चिंताजनक बनी हुई हैं।True To Life News से बात करते हुए बिजनेस एनालिस्ट सुनील मिश्रा ने कहा, “महंगाई दर में गिरावट खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण हुई है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत का संकेत है। हालांकि, लहसुन और आलू जैसी वस्तुओं की कीमतें अब भी चिंता का विषय हैं। इन वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार लाना आवश्यक है, ताकि कीमतों को नियंत्रण में रखा जा सके।”सीपीआई-आधारित हेडलाइन महंगाई जुलाई-अगस्त 2024 में औसतन 3.6% से बढ़कर सितंबर में 5.5% और अक्टूबर में 6.2% हो गई थी, जो सितंबर 2023 के बाद से सबसे अधिक थी। नवंबर में महंगाई दर में आई गिरावट से यह स्पष्ट होता है कि कीमतों को स्थिर करने के लिए सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदम प्रभावी रहे हैं।वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता को मजबूत कर सकती है। हालांकि, महंगाई दर अब भी भारतीय रिज़र्व बैंक के 4% के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।एक अन्य विश्लेषक ने बताया, “महंगाई में गिरावट सकारात्मक है, लेकिन उच्च कीमतों का दबाव अब भी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बना हुआ है। खासकर त्योहारों के मौसम में यह गिरावट उपभोक्ताओं के लिए मददगार साबित हुई है।”महंगाई का सीधा असर आम जनता की क्रय शक्ति और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। जब महंगाई दर अधिक होती है, तो आमदनी का बड़ा हिस्सा मूलभूत जरूरतों पर खर्च हो जाता है, जिससे बचत और निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नवंबर में महंगाई दर में आई यह गिरावट उपभोक्ताओं के साथ-साथ नीति-निर्माताओं को भी राहत देती है| हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कुछ वस्तुओं की कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि पर लगाम लगाना आवश्यक है। विशेष रूप से, लहसुन, आलू और फूलगोभी जैसी वस्तुएं न केवल घरेलू बजट पर असर डाल रही हैं, बल्कि उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े मुद्दों की ओर भी इशारा कर रही हैं।अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकार को कृषि उत्पादन में सुधार, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और वितरण व्यवस्था को सुगम बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, भारतीय रिज़र्व बैंक को भी मौद्रिक नीति के माध्यम से महंगाई को नियंत्रण में रखने के प्रयास जारी रखने होंगे। नवंबर 2024 में महंगाई दर में आई गिरावट एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह स्थिरता लंबे समय तक बनी रहे। महंगाई के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए उत्पादकता बढ़ाने और आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करना समय की मांग है।
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