यति नरसिंहानंद ने दिया विवादित बयान पूरे देश के मुस्लिमों में रोष pt.3 | 1947 में देश आजाद होने के बाद से ही धर्मों में बंट गया जिसका दंश आज की भी पीढ़ी झेल रही है, आज के युवाओं के दिमाग में आधुनिकता की बीज ना बोकर धर्म की गंदी राजनीति की जा रही है । मंदिर – मस्जिद के नाम पर लोगों को आपस में ही लड़वाया जाता है क्योंकी भारत देश में राजनीति के मुख्य दो ही केंद्र होते हैं, पहला धर्म दूसरी जाति । दूसरे देशों में इंसान बसते हैं तो वहीं भारत में हिंदू और मुसलमान बसते हैं और धर्म की राजनीति से थोड़ा समय नेताओं को मिल जाता है तो जाति की भी राजनीति होती है, हमारे देश में इंसान नही जनरल, ओबीसी, एससी एसटी बसते हैं, बस ये नहीं समझ आता की हिन्दू के शरीर की बनावट भी वैसे ही है, जैसे मुस्लिम की तो फिर ये भेदभाव क्यों, ये अलगाव क्यों, ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब शायद अब ख़ुद भगवान के पास भी ना हो क्योंकी भगवान ने तो सिर्फ़ इंसानों को बनाया, धर्म, जात – पात तो खुद बन गए और इंसानों की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं हमारे देश के राजनेता, अंग्रेजो ने जो फूट डालो राज करो की रणनीति बनाई थी उसे अब आगे हमारे राजनेता पाल पोश रहे हैं, लोगों में अलगाव कर देश के नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं और जनता धर्म के नाम पर एक दूसरे का गला काटने में ही खुश हैं, किसी को राम चाहिए तो किसी को पैगम्बर और इसी चाहत का फायदा उठाते हैं, देश के नेता और ख़ुद को धर्म का ठेकेदार मानने वालें संत महात्मा, वैसे तो इन धर्मगुरुओं में संत महात्मा वाले कोई गुण तो होते नहीं पर खैर इनकी दुकान बराबर चल रही है।
हाल ही में एक महन्त ने ऐसा कुछ कह दिया की फिर से देश में धर्म की राजनीति बलगाने लगी। हाल ही में डासना मंदिर के महन्त यति नरसिंहानंद ने ऐसा कुछ कह दिया की पूरे देश के मुसलमानो में रोष की लहर है ।
आख़िर क्या कहा महंत यति ने ?
हाल ही में एक सभा को सम्बोधित करते हुए महंत यति नरसिंहानंद ने मुहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी कर दी, उन्होंने कहा की अपनी बेटियों और बहनों की इज्ज़त बचाना चाहते हो तो इस विजयदशमी रावण को नहीं पैगंबर को जलाओ” जिसके बाद से ही पूरे देश में धर्म की राजनीति गर्म हो गई जगह जगह यति नरसिंहानंद के खिलाफ़ नारेबाजी होने लगी, उनके गिरफ्तारी की मांग भी बढ़ने लगी, इससे पहले भी महंत जी अपने कई विवादित बयान के लिए चर्चा में रहे हैं।
कौन है यति नरसिंहानंद ?
मुस्लिम बहुल इलाके में मौजूद पौराणिक डासना मंदिर का महंत बनने से पहले यति नरसिंहानंद की पहचान इंजीनियर दीपक त्यागी के तौर पर हुआ करती थी । वर्तमान में महामंडलेश्वर की पदवी प्राप्त महंत यति नरसिंहानन्द की उम्र लगभग 55 वर्ष है। उनके पिता रक्षा मंत्रालय में नौकरी करते थे। रिटायरमेन्ट के बाद वो कॉन्ग्रेस से जुड़ गए थे। उन्होंने अपने बेटे दीपक की शुरूआती शिक्षा-दीक्षा मेरठ से करवाई। हालाँकि वो मूलतः बुलंदशहर के निवासी थे। बाद में उच्च शिक्षा के लिए दीपक त्यागी रूस गए। यहाँ वो मॉस्को सहित अन्य कई शहरों में रहे। रूस में उन्होंने ‘मॉस्को इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल मशीन बिल्डिंग’ से मास्टर्स की डिग्री ली
उन्होंने बतौर इंजीनियर लम्बे समय तक कार्य किया। तब दीपक त्यागी को लंदन तक से नौकरी के ऑफर मिले। उन्होंने यहाँ मार्केटिंग टीम का भी नेतृत्व किया। यति नरसिंहानंद का यह भी दावा है कि वो इजरायल की भी यात्रा कर चुके हैं और साथ ही उन्हें 1992 में ‘ऑल यूरोप ओलम्पियाड’ में गणित से विजेता घोषित किया गया था। कई अलग-अलग देशों में रहते हुए लगभग 10 वर्षों के बाद साल 1997 में दीपक त्यागी भारत लौट आए।
लव जिहाद की एक घटना ने बना दिया नरसिंहानंद –
दीपक त्यागी के यति नरसिंहानंद बनने के पीछे लव जिहाद की एक घटना ने बहुत अहम रोल अदा किया। वह घटना शम्भू दयाल कॉलेज में पढ़ने वाली त्यागी समाज की एक लड़की से जुड़ी है जिसने तब रो-रो कर उनको (यति नरसिंहानंद) अपनी पीड़ा बताई थी। पीड़िता ने उन्हें बताया था कि एक मुस्लिम सहेली ने उसकी जान-पहचान अपने मजहब के लड़के से करवा दी थी। दोस्ती के ही दौरान मुस्लिम युवक ने पीड़िता के साथ अपने कुछ फोटो और वीडियो बना डाले थे। इसी फोटो व वीडियो को दिखाकर पीड़िता को कई मुस्लिम युवकों से संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया था।
तब पीड़िता ने दीपक त्यागी को यह भी बताया कि उसके मुस्लिम साथी ने उसको न सिर्फ अपने दोस्तों बल्कि कई नेताओं और यहाँ तक कि प्रिंसिपल तक के आगे परोसा था। लड़की ने दीपक त्यागी पर भी आरोप लगाया कि उनको चुप रहने के लिए कुछ न कुछ लालच दिया गया होगा। यहीं से दीपक त्यागी के मन को आघात लगा और वो हिंदुत्व की तरफ झुकते चले गए। उनको बी एल शर्मा प्रेम के दावों का सबूत जैसा मिल गया और वो दीपक त्यागी से यति नरसिंहानंद बन गए।
By Abhay
Reporting for True to Life News Media