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Syria Civil War: शांति की आस या इस्लामी शासन?

मध्य-पूर्व का इतिहास अक्सर अशांति और संघर्ष की कहानियां बयां करता है। इस क्षेत्र में शांति शायद ही कभी स्थायी रही हो। वर्तमान में, सीरिया का गृहयुद्ध इस दर्दनाक सच्चाई का सबसे ज्वलंत उदाहरण है। 2011 से शुरू हुआ यह संघर्ष आज तक जारी है और इसके कारण देश को व्यापक स्तर पर तबाही का सामना करना पड़ा है। लाखों लोग मारे गए, करोड़ों लोग बेघर हो गए, और सीरिया का भविष्य अनिश्चितता के अंधेरे में खो गया है। 

कैसे शुरू हुआ गृहयुद्ध ? क्या है असली वजह-

सीरिया का गृहयुद्ध 2011 में “अरब स्प्रिंग” आंदोलन के दौरान शुरू हुआ। इस आंदोलन ने पूरे अरब विश्व में लोकतंत्र और शासन में सुधार की लहर चलाई। सीरिया में, जनता भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और राष्ट्रपति बशर अल-असद की तानाशाही से त्रस्त थी। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी शासन में बदलाव की मांग कर रहे थे, लेकिन असद सरकार ने इसे बलपूर्वक कुचलने की कोशिश की। यही कदम धीरे-धीरे एक बड़े गृहयुद्ध का कारण बना। 

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इस संघर्ष के दौरान, असद के खिलाफ कई विद्रोही गुट खड़े हो गए। इनमें से कुछ गुट लोकतांत्रिक शासन चाहते थे, जबकि अन्य इस्लामी शासन की स्थापना की मांग कर रहे थे। असद सरकार को रूस और ईरान का समर्थन मिला, जबकि अमेरिका, तुर्की और पश्चिमी देश विद्रोहियों के पक्ष में थे। 

क्या है विद्रोहियों की मांग और गुटों के विभाजन का मामला – 

सीरियाई विद्रोही असद सरकार को हटाकर लोकतांत्रिक शासन की स्थापना करना चाहते हैं। वे मानवाधिकारों की रक्षा, समानता और देश की एकता के पक्षधर हैं। लेकिन विद्रोहियों के बीच भी गहरे मतभेद हैं। 

– कुछ गुट इस्लामी शासन चाहते हैं। 

– अन्य गुट लोकतांत्रिक शासन का समर्थन करते हैं। 

प्रमुख विद्रोही गुटों में *हयात तहरीर अल-शाम*, *सीरियन नेशनल आर्मी*, और *अह्रार अल-शाम* शामिल हैं। इन गुटों के बीच आपसी संघर्ष और बाहरी शक्तियों पर निर्भरता ने संकट को और जटिल बना दिया है। 

अंतरराष्ट्रीय शक्तियों का हस्तक्षेप- 

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सीरिया का गृहयुद्ध अब केवल एक घरेलू संघर्ष नहीं रह गया है। यह एक अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक संघर्ष बन चुका है। 

– Russia: असद सरकार का सबसे बड़ा सहयोगी है। उसने सीरिया में सैन्य सहायता दी और अपने हवाई तथा नौसैनिक अड्डे स्थापित किए। 

– Iran: असद का समर्थन कर क्षेत्रीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। 

– America or Turkey: विद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं, विशेषकर कुर्दिश गुटों का। हालांकि, तुर्की कुर्दिश गुटों को अपने लिए खतरा मानता है। 

इन विदेशी शक्तियों के टकराव ने संघर्ष को और भी लंबा कर दिया है। 

मानवाधिकार और पलायन का संकट: 

सीरिया के गृहयुद्ध का सबसे दर्दनाक पहलू वहां के नागरिकों की स्थिति है। 

– लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। 

– करोड़ों लोग बेघर हो गए हैं। 

– बुनियादी सुविधाओं जैसे भोजन, पानी, और चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी है। 

युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। 

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– असद सरकार, विद्रोही गुट और आतंकवादी संगठन सभी मानवाधिकारों का हनन कर रहे हैं। 

– संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों ने इस संकट के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की अपील की है। 

शांति की राह: क्या कोई हल संभव है?

सीरिया में शांति का रास्ता अभी भी धुंधला है। 

– शांति वार्ता बार-बार विफल हो रही है। 

– विद्रोही गुटों में फूट के कारण स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। 

– अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के आपसी हित और संघर्ष ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।

By- Sajal Raghuwanshi

Reporting for True To Life

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