True to Life White logo
True to Life Logo
HomeNewsशहीद सैनिक की विधवा को अदालत में घसीटने पर सरकार को फटकार,...

शहीद सैनिक की विधवा को अदालत में घसीटने पर सरकार को फटकार, SC ने लगाया 50 हजार का जुर्माना

एक तरफ तो हमारा देश जय जवान जय किसान के नारे पर चलता है पर इस देश की विडंबना ये भी है कि की इस देश में कही हद तक ना तो किसान की इज्ज़त है ना ही जवान की एक जवान जो हमारे देश की रक्षा के लिए खुद की जान दे देता है तो वहीं हमारे देश का सिस्टम जो भ्रष्टाचार से लिप्त है जिसके नजरों में सिर्फ पैसों की इज्ज़त है, किसी जवान के कीमती जान की नहीं और ना ही उस शहीद जवान के परिवार की इज्ज़त एक शहीद की विधवा को यूं परेशान करना आखिर किस हद तक सही है ?

सैन्य सेवा के दौरान शहीद हुए एक सैनिक की विधवा को उदारीकृत पारिवारिक पेंशन के संबंध में न्यायालय में घसीटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार के रवैये की अलोचना की. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि निर्णय लेने वाले प्राधिकारी को सैनिक की विधवा के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए थी.

See also  ओडिशा के रायगड़ा में वेदांता का 1 लाख करोड़ रुपये का एल्यूमीनियम प्लांट

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) के आदेश को चुनौती देने वाली अपील दायर करने के लिए केंद्र सरकार पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया. एएफटी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी पेट्रोलिंग के दौरान शहीद हुए एक सैनिक की विधवा को उदार पेंशन का आदेश दिया था.

पीठ ने कहा, “हमारे विचार में, इस तरह के मामले में प्रतिवादी को इस न्यायालय में नहीं घसीटा जाना चाहिए था, तथा अपीलकर्ताओं के निर्णय लेने वाले प्राधिकारी को सेवाकाल के दौरान जान गंवाने वाले शहीद सैनिक की विधवा के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए थी. इसलिए, हम 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव करते हैं, जो आज से दो महीने की अवधि के भीतर प्रतिवादी (शहीद सैनिक की विधवा) को प्रदान किया जाएगा.”

सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त महाधिवक्ता विक्रमजीत बनर्जी ने बताया कि उदारीकृत पारिवारिक पेंशन (एलएफपी) का संचालन रक्षा मंत्रालय के निदेशक (पेंशन) द्वारा जारी 31 जनवरी 2001 के आदेश द्वारा होता है. उन्होंने इस तथ्य को अदालत के समक्ष रखा कि 31 जनवरी 2001 के आदेश के पैराग्राफ 4.1 की श्रेणी डी और ई में दर्ज परिस्थितियों में सशस्त्र बल कर्मियों की मृत्यु के मामले में एलएफपी प्रदान किया जाता है.

See also  गांधी विरासत पर हमला,काशी में 100 दिन का सत्याग्रह

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से, श्रेणी डी मृतक पर लागू नहीं होती है. उन्होंने कहा कि मृतक का मामला श्रेणी ई के किसी भी खंड (clause) के अंतर्गत नहीं आता है. उन्होंने कहा कि चूंकि मृतक की मृत्यु कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट के कारण हुई थी, इसलिए इस मामले को सैन्य सेवा के कारण ‘शारीरिक दुर्घटना’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था, और प्रतिवादी को विशेष पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया गया था.

वहीं, शीर्ष अदालत ने कहा, “इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि मृत्यु की तिथि पर मृतक ऑपरेशन रक्षक के तहत जम्मू-कश्मीर में अपनी बटालियन के साथ तैनात था. वह नियंत्रण रेखा के निकट रंगवार गैप पर नियंत्रण के लिए एरिया डोमिनेशन पेट्रोल का हिस्सा था. वह रात 1 बजे से 3.30 बजे तक ड्यूटी कर रहा था.”

पीठ ने कहा कि कमांडिंग ऑफिसर द्वारा जारी प्रमाण पत्र में कई तथ्य दर्ज हैं: जैसे- सैनिक मृत्यु की तिथि पर अत्यधिक जलवायु परिस्थितियों में काम कर रहा था. वह ऑपरेशन रक्षक का हिस्सा था, और वह एलओसी के करीब नियमित एरिया डोमिनेशन पेट्रोल का भी हिस्सा था. उस स्थान पर अत्यधिक विपरीत जलवायु परिस्थितियां थीं. जब मृतक की सांस फूलने लगी, तो उसकी हालत ऐसी थी कि उसे तुरंत निकालने की आवश्यकता थी. हालांकि, खराब मौसम के कारण हवाई मार्ग से तत्काल निकासी नहीं की जा सकी. बाद में, उसे पैदल ले जाया गया, और जब टीम उसे चौकीबल के एमआई रूम में ले गई, तो उसे मृत घोषित कर दिया गया.

See also  Human Rights Groups Seek High Court Action on Ban of Muslim Traders at Kanifnath Yatra
True to Life
True to Lifehttps://truetolifenews.com/
Dive into the pulse of reality! True to Life delivers the freshest news, updates, and today's breaking stories. Stay in the know! Uncover truth now.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments