(आधी रात सिगरेट ना देने पर उतारा मौत के घाट pt.2) शास्त्रों के अनुसार कितनी हज़ार योनियों के बाद इंसान के रुप में जिंदगी मिलने का मौका मिलता है, कितनी मसासक्त के बाद एक बच्चा पैदा होता है, एक जान दुनिया में आती है, पर आज के वक्त में कहीं ना कहीं किसी के जान की कीमत रद्दी के भाव हो गई है । कुछ लोग चंद पैसों के लिए किसी की जान लेले ते हैं तो कुछ अपने खोखले पावर को दिखाने के लिए किसी को मौत के घाट उतार दिया जाता है, पर कोई ये नहीं सोचता की उसका एक गलत कदम, सिर्फ किसी एक ज़िंदगी नही छीन रहा है, बल्की उसके पिछे उसके पूरे परिवार की ज़िंदगी तबाह कर रहा है, पर आज की भागदौड़ की जिंदगी में किस के पास इतना वक्त की वह किसी और के लिए कुछ सोचे, सब अपनी अपनी ज़िंदगी की उलझनों में फसें हुए हैं।
कुछ ऐसा ही मामला है, बनारस के बिरनाथीपुर गांव का जहां छोटी सी बात पर किसी बेगुनाह को मौत के घाट उतार दिया जाता है, सिर्फ अपने अहंकार की आग को शांत करने के लिए एक हस्ते खेलते परिवार को उजाड़ दिया जाता है।
सिगरेट ना देना बना काल –
पूरा मामला है बनारस के चौबेपुर थाना अंतर्गत बिरनाथीपुर गांव का जहां छोटी सी बात पर गोलियां चल जाती हैं, रोज की तरह शारदा यादव अपने किराने की दूकान के बाहर सो रहे थे, रात के लगभग दो बजे कुछ बाइक सवार आते हैं और शारदा यादव से एक ब्रैंड की सिगरेट मांगते हैं, पर शारदा यादव दुकान की चाभी घर के अंदर होने और आधी रात दुकान खोलकर सिगरेट देने से इंकार कर दिया, जिसके बाद बाइक सवारों को इतना गुस्सा आया की उन्होंने चौकी पर बैठे शारदा यादव का गला दबोच लिया और फिल्मी स्टाइल में गले में गोलियां मारकर गालियां देते हुए निकल गए ।
गोली की आवाज सुनकर ऊपर सो रही शारदा की पत्नी ने शोर मचाया पर तब तक हामलवार फरार हो गए और शारदा यादव खून से लथपथ मिले, आनन फानन में शारदा यादव को अस्पताल ले जाया गया, पर रास्ते में हीं शारदा यादव ने दम तोड़ दिया ।
तलाश जारी है –
घटना के तुरंत बाद चौबेपुर थाना प्रभारी की सूचना पर वरुणा जोन डीसीपी चंद्रकांत मीणा, एडीसीपी टी. सरवरण और एसीपी सारनाथ अतुल अंजन त्रिपाठी घटनास्थल पर पहुंचते हैं, पुलिस आस पास के लोगों से बाइक सवारों का हुलिया जानने का कोशिश करती है पर कोई सबूत नहीं मिल पाता है ।
True to Life से बात करते हुए एडीसीपी टी सरवरण बताते हैं की “हमारी टीम छानबीन कर रही है जल्द ही अभियुक्तों को धर दबोचा जाएगा, बाकी शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है” ।
इस पूरे मामले में एक सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है की क्या किसी के अंहकार के आगे किसी की कीमती जान का कोई मोल नहीं ? क्या किसी का गुस्सा इतना कीमती है की किसी की अनमोल जान ले ली जाय?
सवाल बहुत हैं पर जवाब एक भी नहीं।
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