1947 में भारत देश आज़ाद होने के बाद पूरे देश की जनता ने दो दंश झेले एक तो बटवारें का दूसरा संविधान बनने के बाद आरक्षण का इन दोनों फैसलों ने देश में सिर्फ लोगो को बाटने का ही काम किया जहां बटवारे ने भारत के कुछ हिस्सों को दूसरा देश पाकिस्तान बना दिया तो वहीं आरक्षण ने देश के अंदर ही लोगों को बांटने का काम किया। बाबा अंबडेकर शाहब ने संविधान में पिछड़ी जातियों को आरक्षण इसलिए दिया क्योंकी अंबेडकर जी ने अपने बचपन से लेकर जवानी तक ऊंच नीच छुआछूत का दंश झेला था इसलिए उन्होने पिछड़ी जातियों के निम्न अवस्था को ऊंचा करने और उनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आरक्षण का कानून बनाया पर शायद उन्हें ये नहीं पता था की आने वाले भविष्य में ये आरक्षण देश के लिए दंश बन जाएगा और जातियों के बीच बनी खाई को और बड़ा करने का काम करेगा। शुरु से तो आरक्षण की वजह से स्वर्ण जाती के लोग पिछड़ी जातियों के लोगों से और चिड़ने लगे क्योंकी आरक्षण की वजह से पिछड़ी जाति के लोग ऊंची जाति के साथ उनके कार्यालय में काम करने लगे, उनके साथ खाना पीना, उठना बैठना सब हो गया, जो ऊंची जाति के लोगों को बिल्कुल ग्वारा नहीं हुआ, आज के वक्त में भी ऊंची जाति के लोग निचली जाति को अपनी बराबरी नहीं करने देना चाहते। अंबेडकर जी ने जो सोच कर आरक्षण लागू किए वो मंशा शायद पूरी ना हो सकी, ऊंची नीची जातियों के बीच जो खाई थी वो भर ना पाई पर हाल ही में SC -ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले ने नीची जातियों के बीच भी खाई खोदने का काम किया ।
कोटे में भी कोटा बांटा जाए –
सुप्रीम कोर्ट अपने 20 साल पहले के फैसले को रद्द करते हुए नए फैसले में ये कहा की राज्य सरकारें अब राज्यों में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेंगी। यानी अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा। अदालत ने फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है, जिनमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का है। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है।
भारत बंद –
सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद से ही मायावती की बसपा पार्टी सहित तमाम दलित समुदाय भारत बंद का एलान कर सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। True to life से बात करते हुए बसपा नेता डॉ बलिराम कहते हैं की “ये फ़ैसला पूरी तरह से गलत है, सुप्रीम कोर्ट मौजूदा सरकार के इशारों पर चलती है, ये सभी हमें आपस में बांटना चाहते हैं, इस सरकार में बाबा अंबेडकर जी द्वारा रचित संविधान खतरे में है। ये संविधान बदलना चाहते हैं, लोकतंत्र पूरी तरह से खतरे में है”। अब सबसे बड़ा सवाल ये है की ये फैसला कहां तक सही है और कहां तक गलत? क्या ये सही है की निचली जाति में ही जो हर तरह से संपन्न है वो आरक्षण का लाभ ले जाए और जो सम्पन्न नहीं है जिसको आरक्षण की सख्त जरूरत हो वो आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाए आखिर ये कहां तक सही है ?
बनारस से अभय के द्वारा
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